उज्जैन।आम वाहन चालक जैसे ही पेट्रोल पंप पर जा रहे हैं उन्हें सीधे पावर की मशीन की और ही जाने का ईशारा किया जा रहा है। साधारण पेट्रोल या तो नहीं है या फिर मशीन बंद होने का बहाना बनाया जा रहा है। सीधे तौर पर यह कहा जाए की पावर का दाम से पंप मालिकों की जेब को दम दिया जा रहा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। उपभोक्ता के अधिकारों का रक्षण करने वाले विभाग यहां बेबस से दिख रहे हैं।
जिले में कई पेट्रोल पंप नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हैं। साधारण पेट्रोल की बजाय पावर पेट्रोल बेचने की और कतिपय पंप संचालकों का पूरा ध्यान है। इसके लिए उनके कर्मचारी या तो साधारण पेट्रोल नहीं होने या फिर मशीन खराब होने से लेकर तमाम तर्क देकर आम उपभोक्ता को पावर पेट्रोल,डीजल लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं,जबकि नियमानुसार उपभोक्ता को मांग के अनुसार पेट्रोल उपलब्ध होना चाहिए। पंपों पर इसकी के चलते पावर एवं साधारण पेट्रोल एवं डीजल की अलग-अलग मशीनें लगी हुई हैं।उसके बाद भी साधारण पेट्रोल-डीजल कम और पावर पर ही अधिक विक्रय का दबाव बनाया जा रहा है।
क्यों करते हैं ऐसा-
सूत्रों के अनुसार साधारण पेट्रोल एवं पावर में करीब 8 रूपए का अंतर होता है। ऐसे में दाम से पेट्रोल पंप मालिकों की जेब को कमीशन का दम जमकर मिल रहा है। इधर सामने यह भी आ रहा है कि साधारण के नाम और पावर के दाम का खेल भी ग्रामीण क्षेत्र में बराबर चल रहा है जिस पर नियंत्रण के हाल नहीं के बराबर सामने आ रहे हैं। बेबस हाल में विभाग हाथ बंधे होने जैसे हालात में भी है। सामने आ रहा है कि वर्ष 2019 से मप्र मोटर स्पिरिट एवं हाई स्पीड डीजल ऑयल (अनुज्ञापन एवं नियंत्रण) आदेश 1980 का निरसन होने से विभाग की स्थिति मात्र दर्शक जैसी ही है।
रक्षण विभाग सुस्त-
पेट्रोल डीजल के मामले में संबंधित उपभोक्ता रक्षण विभाग स्व संज्ञान के कभी किसी पेट्रोल पंप को सिल करते ही नहीं हैं न ही किसी पेट्रोल पंप पर जांच में अनियमितता पाते हैं। हमेशा शिकायत या कोई मामला होने पर ही कार्रवाई की ढयोंढी पीटी जाती है। हाल ही में सीएम काफिले के वाहनों के टेंक में रतलाम में पानी भरने से वाहन जाम हुए थे। इस घटना के बाद प्रदेश भर के पेट्रोल पंपों पर जांच की खानापूर्ति की गई थी। इसके विपरित पेट्रोल –डीजल में नापतौल एवं गुणवत्ता को लेकर सवाल यथावत ही रहते हैं उसके बाद भी ऐसे कोई मामले सामने नहीं आते हैं। बताया जा रहा है कि जिले में अधिकांश पेट्रोल पंप पंप संचालक पावरफूल हैं, ऐसे में अधिकारी मात्र फोरी कार्रवाई कर इतिश्री कर रहे हैं। कम पेट्रोल देने के लिए नापतौल विभाग कार्रवाई का अधिकार रखता है। लेकिन, हैरत है कि पिछले कई माह से अभी तक विभाग के अधिकारियों को कोई गडबड ही देखने में नहीं आ रही। उपभोक्ता बोल रहे हैं लडकर भौतिक नाप करवा रहे हैं तो नाप में लीटर पर 80-120 एमएल तक कुछ पंपों पर कम निकल रहा है। विभाग शिकायत के इंतजार में है कि पावरफूल को शिकायतकर्ता के नाम की जानकारी दी जा सके।
पंपों से पेट्रोल लेते समय उपभोक्ता जागृत रहें-
एक झटके में ढाई रूपए साफ-
सूत्र जानकारी दे रहे हैं कतिपय पर पर सेल्समैन मीटर ऑन करते हैं। गाड़ी की टंकी में नोजल डालकर वे लीवर को दबाते या झटका देते हैं। इससे वैक्यूम हो जाता है और पाइप में 20-50 एमएल पेट्रोल रह जाता है। इस दौरान मीटर रीडिंग जारी रहती है। इससे अगर कहीं सिर्फ 25 मिलीलीटर भी नली में शेष पेट्रोल/डीजल रह गया तो उपभोक्ता को करीब ढाई रुपये की चपत लगना तय है।दिन भर में आने वाले उपभोक्ता के आधार पर इसका हिसाब लगाया जाए तो उसका आंकडा क्या होगा। आनलाईन मशीनें मीटर तेज …!-
पेट्रोल पंपों के जानकार सूत्रों के अनुसार उपभोक्ता की तरफ से बताई गई पेट्रोल की मात्रा लिहाज से मीटर काफी तेज चल रहा हो तो समझ जाना चाहिए कि कुछ गड़बड़ी है। ऐसे में पेट्रोल पंप कर्मी से मीटर की स्पीड कम करने की मांग की जा सकती है। कुछ पेट्रोल पंप की मशीनों में दिक्कतें होती हैं जो ग्राहकों के पकड़ में नहीं आती हैं। इन मशीनों से पेट्रोल भरने के दौरान यह बार-बार रुकता है, इससे नुकसान होता है।
निर्धारित रकम से अन्य का डलवाएं –
सुत्रों का कहना है कि हाईवे एवं ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही गडबडी करने वाले कई बार मशीनों से छेड़छाड़ कर उन्हें तेज कर देते हैं इसलिए कभी भी फिक्स अमाउंट जैसे 100, 200 या 500 रुपये का पेट्रोल या डीजल नहीं खरीदा जाना चाहिए। हमेशा अन्य निर्धारण रकम जैसे 104, 107, 209 ऐसी रकम में फ्युल लेने से गडबड की आशंका कम ही होती हैं।
चिप से भी होती है गड़बड़ी-
सूत्रों का कहना है कि पंपों पर आधुनिक मशीनों के आ जाने के बाद अब गड़बड़ी का साधन चिप के रूप में भी सूना जा रहा है। मशीन के अंदर ही चिप लगा दी जाती है। इसे रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है। तेल डालते समय बटन दबाने से तेल कम गिरने लगता है। इससे मीटर तो चलता है, लेकिन वास्तव नहीं। इसे पकडना आसान नहीं है। क्योंकि, जैसे ही उपभोक्ता जांच की बात करेगा उसे रिमोट से सही कर दिया जाएगा और तेल सही मात्रा में गिरेगा। हालांकि इस बात की पुष्टि अब तक सामने नहीं आ सकी है।
